हिंदू शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ का व्रत सुहागिनों के लिए सबसे महत्वपूर्ण व्रत माना गया है. यह व्रत सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए करती हैं. करवा चौथ का यह व्रत कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्थी को मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखकर रात में चांद दिखते ही अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलती हैं.

 

Karwa Chauth vidhi in Hindi 

हिंदू शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ का व्रत सुहागिनों के लिए सबसे महत्वपूर्ण व्रत माना गया है. यह व्रत सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए करती हैं. करवा चौथ का यह व्रत कार्तिक मास की कृष्ण चतुर्थी को मनाया जाता है. इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखकर रात में चांद दिखते ही अर्घ्य देकर अपना व्रत खोलती हैं.

नारद पुराण के अनुसार इस दिन भगवान गणेश की पूजा करनी चाहिए। करवा चौथ की पूजा (Karwa Chauth Puja Vidhi) करने के लिए बालू या सफेद मिट्टी की एक वेदी बनाकर भगवान शिव- देवी पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, चंद्रमा एवं गणेशजी को स्थापित कर उनकी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए।

पूजा के बाद करवा चौथ की कथा सुननी चाहिए तथा चंद्रमा को अर्घ्य देकर छलनी से अपने पति को देखना चाहिए। पति के हाथों से ही पानी पीकर व्रत खोलना चाहिए। इस प्रकार व्रत को सोलह या बारह वर्षों तक करके उद्यापन कर देना चाहिए। पूजा की कुछ अन्य रस्मों में सास को बायना देना, मां गौरी को श्रृंगार का सामान अर्पित करना आदि शामिल है।

पूजन

उस दिन भगवान शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा का पूजन करें। पूजन करने के लिए बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी बनाकर उपरोक्त वर्णित सभी देवों को स्थापित करें।

 

नैवेद्य

शुद्ध घी में पूरी और हलुवा अथवा खांड मिलाकर मोदक (लड्डू) नैवेद्य हेतु बनाएं।

करवा

मिट्टी से तैयार किए गए मिट्टी के करवे अथवा तांबे के बने हुए करवे।

पूजा के लिए मंत्र

ॐ शिवायै नमः से पार्वती का, ॐ नमः शिवाय से शिव का,ॐ षण्मुखाय नमः से स्वामी कार्तिकेय का,ॐ गणेशाय नमः< से गणेश का तथा ॐ सोमाय नमः से चंद्रमा का पूजन करें.

व्रत का विधिविधान

करवा चौथ के व्रत के दिन शाम को लकड़ी के पटिए पर लाल वस्त्र बिछाएं। इसके बाद पटिए पर भगवान शिव, माता पार्वती, कार्तिकेय, गणेशजी की प्रतिमा स्थापित करें। वहीं एक लोटे पर श्रीफल रखकर उसे कलावे से बांधकर वरुण देवता की स्थापना करें। तत्पश्चात मिट्टी के करवे में गेहूं, शक्कर व नकद रुपया रखकर कलावा बाँधे।

इसके बाद धूप, दीप, अक्षत व पुष्प चढ़ाकर भगवान का पूजन करें। पूजन के समय करवे पर 13 बार टीका कर उसे सात बार पटिए के चारों ओर घुमाएं। हाथ में गेहूँ के 13 दाने लेकर करवा चौथ की कथा का श्रवण करें। पूजन के दौरान ही सुहाग का सारा सामान चूड़ी, बिछिया, सिंदूर, मेंहदी, महावर आदि करवा माता पर चढ़ाकर अपनी सास या ननद को दें। फिर र्चद को अ‌र्घ्य देकर अपने पति के हाथों से पानी और पहला निवाला खाकर व्रत खोलें।

करवा चौथ के व्रत की सही विधि

  1. सूर्योदय से पहले स्नान कर के व्रत रखने का संकल्प लें और सास द्धारा भेजी गई सरगी खाएं। सरगी में , मिठाई, फल, सेंवई, पूड़ी और साज-श्रंगार का समान दिया जाता है। सरगी में प्याज और लहसुन से बना भोजन न खाएं।
  2. सरगी करने के बाद करवा चौथ का निर्जल व्रत शुरु हो जाता है। मां पार्वती, महादेव शिव व गणेश जी का ध्यान पूरे दिन अपने मन में करती रहें।

करवा चौथ व्रत के लिये जरुरी सामग्री-

  1. दीवार पर गेरू से फलक बनाकर पिसे चावलों के घोल से करवा चित्रित करें। इस चित्रित करने की कला को करवा धरना कहा जाता है जो कि बड़ी पुरानी परंपरा है।
  2. आठ पूरियों की अठावरी बनाएं। हलुआ बनाएं। पक्के पकवान बनाएं।
  3. फिर पीली मिट्टी से मां गौरी और गणेश जी का स्वरूप बनाइये। मां गौरी की गोद में गणेश जी का स्वरूप बिठाइये। इन स्वरूपों की पूजा संध्याकाल के समय पूजा करने के काम आती है।
  4. माता गौरी को लकड़ी के सिंहासन पर विराजें और उन्हें लाल रंग की चुनरी पहना कर अन्य सुहाग, सिंगार सामग्री अर्पित करें। फिर उनके सामने जल से भरा कलश रखें।
  5. मिट्टी का टोंटीदार करवा लें। गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें। उसके ऊपर दक्षिणा रखें। रोली से करवे पर स्वास्तिक बनाएं।
  6. गौरी गणेश के स्वरूपों की पूजा करें। इस मंत्र का जाप करें – ऊॅं नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥

अधिकतर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही पूजा करती हैं।

  1. रात्रि पूजा के समय छननी के प्रयोग से चंद्र दर्शन करें और चन्द्रमा को अ‌र्घ्य प्रदान करें। फिर पति के पैरों को छूते हुए उनका आर्शीवाद लें। फिर पति देव को प्रसाद दे कर उनके हाथ से जल ग्रहण करें।
  2. पूजा के लिए मंत्र

“नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्‌। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥”

(It means “O beloved consort of Lord Shiva, please bestow long life of the husband and beautiful sons to your women devotees”.)

After Goddess Gaura, Lord Shiva, Lord Kartikeya and Lord Ganesha are worshipped.

“करकं क्षीरसम्पूर्णा तोयपूर्णमथापि वा। ददामि रत्नसंयुक्तं चिरञ्जीवतु मे पतिः॥”

(It means “O milk filled Karwe with precious stones; I donate you, so that my husband is long lived”.)

पूजा की कुछ अन्य रस्मों में सास को बायना देना, मां गौरी को श्रृंगार का सामान अर्पित करना आदि शामिल है।



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